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A JOURNEY FOR PROTECT EXISTENC.
VOICE OF HULGULANLAND AGAINST GLOBLISATION AND COMMUNAL FACISM. OUR LAND SLOGAN BIRBURU OTE HASAA GARA BEAA ABUA ABUA. LAND'FORESTAND WATER IS OURS.
Wednesday, April 24, 2024
Saturday, June 10, 2023
9 जून 2023 बिरसा मुंडा शहीद दिवस सह। संकल्प सभा सह
10 जून 2023
9 जून को वीर नायक बिरसा मुंडा के 123 वीं शहादत दिवस सह संकल्प सभा सभा का आयोजन खूंटी के करम अखड़ा में विविन्न आदिवासी संगठनो द्वारा किया गया। संकल्प सभा में -निमिन संकल्प लिया गया।
1-हम सभी आदिवासी बिरसा मुंडा के वंशज हैं आज करम अखड़ा खूंटी में जल जंगल जमीन की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं।
2-हम भूमि पुत्र संकल्प लेते हैं हमारे विरोध में जो भी कनून बनाया जायेगा उसके खिलाफ हम एकजुट होकर कर संघर्ष करेंगे।
सभा को संबोधित करते हुए सनिका मुंडा ने कहा शहीद दिवस पर चिंतन करना है कि कितने लोग सच्चा बिरसा मुंडा बन सकते हैं जो सही में जल जंगल जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष करेगें। क्योंकि सभी तरफ भारी संख्या में जमीन लुटा रहा है। गांव गांव में चौड़ा रोड़ बन रहा है ग्रामीण क्षेत्रों से प्राकृति संसाधनों को लुटने के लिए। गांव गांव में स्कूल है लेकिन टीचर नहीं है। अस्पताल है लेकिन डाक्टर, नर्स नहीं हैं। एक रुपया वाला राशन सबको मिलता है लेकिन जमीन जंगल लुटा रहा है इसकी शिकायत करते हैं तो अधिकारी, नेता मंत्री चुप हो जाते हैं। यह हमारे खिलाफ बड़ा सत्यंत्र है। इसको समझने की जरुरत है।
राजू लोहारा ने कहा गांव गांव में बैठक कर ग्राम सभा को मज़बूत करने की ज़रूरत है। कोचांग के काली मुंडा ने कहा साजिश करके पुंजीपतियों ने बिरसा मुंडा को ha से अलग किया। यही पूंजीपति आज हमारा सारा चीज लूट ले रहे हैं। आदिवासियो के सामाजिक, सांकृतिक, भाषा साहित्य, स्वस्थ, शिक्षा का विकास करने के लिए ट्राइबल सब प्लान में आबंटित करोड़ों रूपया दुसरे माद में पानी की तरह बहाया जा रहा है। इससे रोकने की ज़रूरत है।
सिंबुकेल का अनूप हस्सा ने कहा बिरसा मुंडा धरती, जंगल जमीन बचाने के लिए शहीद हुए। उनके संघर्ष का देन है 1908 का C N T act, जो हमारा सुरक्षा कवच है। अपने हक अधिकार की रक्षा के लिए बच्चों को पढ़ाना लिखाना होगा। हड़िया दारू जैसे नशा से दूर रहना होगा।
जागेश्वर लकड़ा ने कहा आज केन्द्र सरकार डिजीडल क्रायाकर्म को बढ़ा कर विश्व गुरु बनने का दावा कर रहा है, लेकिन भारत तबतक विश्व गुरु नहीं बन सकता है जबतक देश के आदिवासी मूलवासी किसानों का जंगल जमीन,पर्यावरण सुरक्षित नहीं रहेगा। आज ऑनलाइन सिस्टम में भारी संख्या में रैयतों के जमीन का हेराफेरी चल रहा है। आदिवासी समुदाय का जमीन लुटाते जा रहा है।
इससे रोकने की ज़रूरत है।
लुकिन मुंडा ने कहा ऑनलाइन जमीन लूटा रहा है ज़रूरत है इस शाजिस को समझने का,। तभी जंगल जमीन बचा पाएंगे। कुचाई के मानसिंह मुंडा ने कहा हमारे इलाके में 39 मुंडारी खूंटकटी गांव हैं। रघुवर सरकार खूंट कटी व्यवस्था को तोड़ने का कोशिश किया था हैं लोग बकस्थ मुंडारी खूंटकटी समिति बना कर इसका विरोध किए। मानसिंह कहते हैं जब रिकॉर्ड ऑफ राइट, खतियान में ही हमारा मालिकाना हक पहले से दर्ज है तब पणजी टू में नए सिरे से नाम चढ़ाने की क्या जरूरत है ? हम लोगों ने रघुवर सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध किया।
Karra प्रखंड के ludru गांव की रंजन सांगा ने कहा ऑनलाइन जमीन के कागजातों का kaara प्रखंड में सबसे ज्यादा छेड़छाड़ किया गया है और जमीन का लूट चल रहा है ।आज जरूरत है जंगल जमीन को बचाने के लिए नया अनुदान खड़ा करने का। तभी जमीन जंगल बच सकता है।
बुंडू के के तारा लाल मुंडा ने कहा आज जरूरत है बिरसा मुंडा के रास्ते जंगल जमीन बचाने के लिए संघर्ष करने के लिए संकल्प लेने का ।आज पूरे राज्य में जमीन की लूट धड़ल्ले से चल रही है राज बनने के बाद यह लूट बढ़ गया है।
बबलू मुर्मू सरायकेला ने कहा आज शिक्षा के क्षेत्र भी हमें आगे बढ़ना होगा, तभी हमारे बच्चे अपने आधिकारों को समझ सकते हैं। वन अधिकार अधिनियम सहित जितने भी कनून बने सभी जमीन जंगल लुटने के लिए बना। जन्हा टाटा जैसे फैक्ट्री बैठ गया आदिवासी विस्थापित होते जा रहे हैं। विस्थापीत अपने अधिकार से भी बेदखल होते जा रहे हैं। हम लोगों को सामाजिक राजनितिक क्षेत्र में भी संगठित होना होगा।
खरसांवा के धुलु सिंह मुंडा ने कहा रघुवर सरकार हमारे जमीन का भूमि बैंक बना लिया है, जमीन का ड्रोन से सर्व कर रहा है यह सिर्फ़ जमीन लुटने के कर रहा है। गोला मुंडा अड़की ने कहा जंगल जमीन बचाने का लड़ाई तेज करना होगा। बुधन लाल मुंडा ने कहा जल जंगल जमीन की रक्षा के लिए हम हैं सामाजिक और राजनीतिक रूप में भी संगठित और सशक्त होना पड़ेगा।
बहन इमिलिया ने कहा आज हमारे समाज में हड़िया दारू जैसे नशा जड़ जमा चुका है। हमारी बहनें हड़िया बेचती हैं और हमारे भाई पीते हैं, इससे हमारा समाज कमजोर हो रहा है। इसे रोकने की जरूरत है । आजा हमारे समाज से ही वार्ड पार्षद है, मुखिया है, प्रमुख है, नेता है, मंत्री हैं फिर भी हमारा जमीन हमारे हाथ से छिनता जा रहा है यह दुर्भाग्य की बात है।
फादर टॉम ने कहा विरसा मुंडा का सीधा समझता था जमीन हमारा है इसको किसी भी कीमत में जीने नहीं देंगे इसलिए वह अंग्रेजो के खिलाफ उलगुलान किया था। आजाद भारत में आज हम गुलाम बने हुए हैं । पेसा कानून बने 25 साल हो गया लेकिन आज तक नियमावली नहीं बना। जमीन का रिकॉर्ड ऑनलाइन हो गया है पूरे राज में आहिस्ता आहिस्ता सभी जमीन ऑनलाइन लूटा जा रहा है । इसको रोकने के लिए संगठित होने की जरूरत है।
धर्म गुरु गुरु दुर्गावती ओडेया ने कहा आज हम जाति पति धर्म करम की लड़ाई में खो गए हैं हम् बिना सोचे समझे अपना जनप्रतिनिधि चुनते हैं उसका परिणाम हम देख रहे हैं। सीएनटी एक्ट बदल रहा है, ड्रोन से जमीन का सर्वे हो रहा है आज हमे बिरसा मुंडा की तरह लड़ाई लड़ने की जरूरत है तभी जमीन बच पाएगा।
सुशीला कांडूलना ने आह्वान किया हमारे बच्चों को हमें हर तरह के नशा से दूर रखना होगा। युवाओं को शिक्षित बनाना होगा तभी हमारे बच्चे संविधान के आधिकारों को समझ सकते हैं।
मुख वक्ता के रूप में मैंने अपनी बात रखी - आज बिरसा मुंडा के शहीद हुए एक 123 साल पूरे हो गए। बिरसा मुंडा आदिवासी समाज ही नहीं लेकिन पूरे मानव समाज के लिए, उनकी आजादी के लिए, उनके सामाजिक अधिकार के लिए, उनके जल जंगल जमीन के अधिकारों के लिए अंग्रेजी व्यवस्था के खिलाफ उलगुलान किया ।आज बिरसा मुंडा के शहादात दिन में हम केवल बिरसा मुंडा को याद नहीं करेंगे लेकिन सरदारी लड़ाई के अगुआ तमाड़ के कानून मुंडा इसके साथ ही सिद्धू - कानू, चांद- भैरव,। फूलो झानो, जतरा टाना भगत ,मक्खी मुंडा, गया मुंडा, डोका मुंडा , सिंदराय मनकी, बिंदराय मनकी, वीर बुधु भगत, तेलंगा खड़िया सबको सामूहिक रूप से उनके संघर्ष और शहादत के लिए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हहुं। इन सभी नेताओं के शहादत से ही सीएनटी एक्ट बना,।मुंडारी खूंटतकटी अधिकार मिला। हो आदिवासी इलाके के लिए विलकिंग्सन रोल मिला , जो अपने जल जंगल जमीन पर परंपरागत अधिकार को रेखांकित किया है।
2014 के बाद लगातर आदिवासी समुदाय के आधिकारों पर हमला हो रहा है। सी एन टी एक्ट, एस पी टी एक्ट, 5वीं अनुसूची में प्रावधान आदिवासी समुदाय के परम्परागत आधिकारों, पेसा कानून का आवहेलना करके रघुवर सरकार ने गांव की सामूदायिक जमीन को चिन्हित करके भूमि बैंक में शामिल कर दिया। जमीन के परम्परागत रिकॉर्ड जैसे खतियान पार्ट टू, विलेज नोट, गांव का नक्शा सभी को ऑनलाइन कर दिया।
ऑनलाइन होने के बाद आज धड़ले से गांव के रैयतों का जमीन लूटा जा रहा है। खतियान में भारी छेड़ छाड़ हो रहा है। रिकॉर्ड में छेड़ छाड़ होने के कारण रैयत अपने जमीन का रशीद नहीं करवा पा रहें हैं। जमीन संबंधित कागजातों के ऑनलाइन होने के बाद रघुवर सरकार ने यह व्यवस्था किया की जमीन के असली दावेदार कौन है , उनका कौन सा जमीन है, इसका पूरा विवरण पणजी टू में दर्ज करने की व्यवस्था की यह व्यवस्था रघुवर दास की भाजपा सरकार ने 2016 के बाद पूरे राज्य में स्थापित की। लेकिन आजा पूरे राज की यह स्थिति है की जमीन मालिकों का नाम ऑनलाइन पणजी टू में कहीं नाम दर्ज किया गया है तो उसका खाता नंबर दर्ज नहीं है अगर खाता नंबर दर्ज है तो प्लॉट नंबर दर्ज नहीं किया गया है यह भी गौर करने की बात है कि जमीन की हेराफेरी का खेल पणजी दो के माध्यम से ही हो रहा है दलाल , माफिया और अफसरों की मिलीभगत से असली मालिक का नाम पणजी टू से रातों-रात हटा दिया जा रहा है और कोई गैर व्यक्ति का नाम पंजों में दर्ज हो रहा है । ग्रामीण रैयत इसको ठीक करने के लिए कभी प्रज्ञा केंद्र तो कभी सीओ कार्यालय तो कभी आमीन के पास दौड़ लगा के थक जा रहे हैं लेकिन उनका काम नहीं हो पा रहा है। उनकी शिकायत का निपटारा करने की जिम्मेवारी से सभी पल्ला झाड़ ले रहे हैं। आज सामाजिक एकता को मज़बूत करने की ज़रूरत है साथ ही संकल्प लेना होगा की हर संभव हम अपने समाज के आधिकारों की रक्षा करेगें।
जद्दो सिंह मुंडा ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा बिरसा मुंडा सिर्फ 25 साल की उम्र में अंग्रेजों को झुकने को मजबूर किया था। आज हमारा समाज पढ़ लिख कर आगे बढ़ा है। पहले से हमारा समाज मज़बूत हुआ है तब हमें और मजबूती से संघर्ष करना होगा। सभा संचालन हादू टोपनो ने किया। लेखन एनेम टोपनो ने किया। Í
(Photo by Ronald Reagan Khalkho)
Saturday, May 20, 2023
मैं धन्यवाद देना चाहती हूं कि UMASS LOWELL के Greeley Advisory Board के सदस्यों को जिन्होंने Greeley Scholar 2023 के लिए मेरा चयन किए।
मैं दयामनी बरला भारत के झारखंड प्रदेश के आदिवासी मूलवासी ,दलित मेहनत मजदूरी करने वाले समुदाय की ओर से अमेरिका -Bostan - के प्रतिष्ठित University of Massachusetts Lowell को हृदय से धन्यवाद देना चाहती हूं कि आपने मुझे University में Greeley Scholar के रूप में Greeley peace Studies के लिए आने का मौका दिए हैं।
हां आशा है आगे जाकर फिर मुलाकात होगी।
जिंदगी एक नदी की धारा है। हजारों चट्टानों से टकराते फुहारों में बिखरते-समेटते कल कल करते अपना रास्ता बनाते आगे बढ़ते परिचित - अपरिचित कई छोटी बड़ी धाराओं से मिलती हैं। UMASS LOWELL University of Massachusetts द्वारा GREELEY Scholar for Peace Studies 2023 के लिए चुने जाने के बाद America -Bostan में रहते हुए मैंने महसूस किया की कई छोटी बड़ी नदियों का संगम हो रहा है।
Sunday, March 19, 2023
जिलावार आरक्षण रोस्टर-प्रतिशत में
20 /3/23
खबर रांची में प्रकाशित रिपोट
झारखंड सरकार ने कैबिनंट से संकल्प जारी किया-
झारखं डमें कुल 60 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान लागू कर दिया गया-जिलास्तरीय नियुत्कि में इडब्ल्यूएस को (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) आरक्षण, शेष के कोटा में बदलाव नहीं-झारखं डमें जिलास्तरीय पदों प् होनेवाली सीधी नियुत्कि में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ( इडब्ल्यूएस ) के लोगों को भी आरक्षण दिया जायेगा। राज्य में कुल 60 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान लागू कर दिया गया है। सरकार के निर्णय के अनुरूप राज्यस्तरीय नियुत्कि के बाद अब जिलास्तरीय नियुत्कि में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग या इंडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिश सीट आरक्षित किया गया है। कार्मिक विभाग ने आरक्षण रोस्टर का संकल्प जारी कर दिया है। कैबिनेट की बैठक में जिलावार आरक्षण रोस्टर के प्रस्ताव को मिली स्वीकृति के बाद कार्मिक विभाग द्वारा जारी संकल्प में कहा गया है कि जिलास्तरीय पदों पर नियुत्कि के संबंध मे ंतो अप्रैल 2010 के संकल्प में संशोधन किया गया है। जिला रोस्टर में एसटी, एससी, ओबीसी, बीसी व इडब्ल्यूएस को जिलावार आरक्षण दिया गया है। राज्यस्तरीय पदों पर होनेवाली नियुत्कि में इडब्ल्यूएस को दस प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को जिलावार भी सुनिश्चित कर दिया गया है।
झारखं डमें पदों व सेवाओं में रित्कियों में आरक्षण अधिनियम 2019 द्वारा दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। जिलावार आरक्षण रोस्टर में विभिन्न वर्गौं के पूर्व से आरक्षण कोटा में कोई बदलाव नहीं किया गया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2010 में जिला स्तरीय वर्ग नियुत्कि के लिए जारी अधिसूचना की तरह ही नयी अधिसूचना में भी छह जिलों में एमबीसी(अत्यंत पिछड़ा वर्ग) और बीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं है।
15 भाषाओं में से किसी एक का चयन करने की होगी अनूमति-जिलास्तरीय पदों पर नियुत्कि के लिए निकाले जानेवाले विज्ञापन में अभ्यार्थी का ेअब 15 भाषाओं में से किसी एक का चयन करनी की अनुमति होगी। इसमें उर्दू, संथाली, बंगाली, मुंण्डारी, हो, खडिया, उरांव, कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंचनरगनिया, उड़ियाा, हिन्दीं, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा शामिल है। हालांकि जिलों में पदों पर नियुत्कि को लेकर कार्मिक विभाग ने जिलावार क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं की सूची अभी जारी नहीं किया है।
जिलावार आरक्षण रोस्टर-प्रतिशत में
जिला------एससी-----एसटी----एमबीसी-1-----बीसी--2---इडब्ल्यूएस
रांची-------05-------37------05---------03-------10
खुंटी------05--------45------00-------- 00-------10
हजारीबाग--21--------04-------14--------11-------10
रामगढ----11--------20-------11--------08-------10
चतरा-----18--------08-------14--------10-------10
गिरिडीह---13--------12-------14--------11-------10
बोकारो----13-------12--------14--------11-------10
धनबाद----15-------08------- 15--------12-------10
लतेहार----21-------29--------00-------00--------10
लेहरदगा---03-------47--------00-------00--------10
सिमडेगा--07-------43--------00--------00--------10
प0 सिंहभूम--04-----46--------00--------00--------10
दुमका-----05-----45--------00--------00--------10
साहिबगंज---05-----38-------04--------03--------10
पाकुड-----05-----38-------04--------03--------10
सरायकेला----05----38-------04------03-------10
पू0 सिंहभूम----04----28------10------08--------10
देवघर------12-----12------15------11--------10
गोडा-------08-----25------10------07-------10
जामताडा----09-----32-------05-----04--------10
Saturday, March 4, 2023
2016-17 me
ं 50 लाख कीमत तक के जमीन रजिस्ट्री 1 रूप्या मे किया गया-इसका लाभ किसको मिला?
झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने राज्य के सामृद्व महिलाओं को लाभ पहुुचाने के लिए भू-राजस्व एवं निबंधन विभाग के माध्यम से 50 लाख कीमत की जमीन खरीदने पर 1 रूप्या में जमीन की रजिस्ट्री करने की व्यवस्था लायी।
इस व्यवस्था के बाद हर साल 70 महिलाएं इसका लाभ उठाते रहीं। इस व्यवस्था के तहत महिलाएं एक रूप्या में जमीन, मकान, प्लैट का रजिस्ट्रेशन करायी। 2 लाख से अधिक रजिस्ट्री की गयी। इससे राज्य को 1296 करोड़ राजस्व का नुकासान भी उठाना पड़ा।
कोरोना काल में वर्तमान हेमंत सरकार ने इस व्यवस्था फिर से वापस लिया। तर्क दिया गया कि इस व्यवस्था के तहत गरीब महिलाएं लाभ नहीं ले पा रही हैं साथ ही राज्य का राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। इसी को देखते हुए राज्य की गठबंधन सरकार ने इस व्यवस्था को वापस लिया।
5 सितंबर 2019 का तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने टवीट किया था-झारखंड देश का पहला राज्य है जहां महिलाओं के लिए 50 लाख रूप्या तक की जमीन , मकान की रजिस्ट्री सिर्फ एक रूप्ये में होती है। अब तक डेढ़ लाख से ज्यादा महिलाएं बन चुकी हैं मकान मालकिन।
जानकारी के लिए-देश के बाकी राज्यों में भी महिलाओं को रजिस्ट्री में कुछ प्रतिशत की छूट मिलती है-उदाहरण के तौर में-दिल्ली में 4 प्रतिशत स्टाम्प डयूटी देनी पड़ती है। यूपी में महिलाओं द्वारा जमीन खरीदने पर सिर्फ एक (1) प्रतिशत ही स्टाम्प डयूटी में छूट दी गयी है।
23 मार्च 2021 को राज्य सरकार ने महिलाओं को 1 रूप्या में जमीन रजिस्ट्री में छूट देने से राज्य सरकार को 400 करोड़ का नुकसान बताया। राज्य के प्र्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के मंत्री हफीजुल हसन ने कहा कि पिछली सरकार ने महिला के नाम से जमीन रजिस्ट्री कराने नर छूट दी थी, इससे राज्य को करीब 400 करोड़़ रूप्ये राजस्व का नुकसान हुआ था। वह रजिस्ट्री शुल्क भी देने में सक्षम होता है। यह सिर्फ जमीन लूटने की षडयंत्र के तहत किया गया था।
जो भी नये-नये व्यवस्था जमीन संबंधित लाये गाये पिछली रघुवर दास की सरकार के द्वारा उसका समीक्षा होनी चाहिए कि आदिवासी, मूलवासी, दलित और मेहनत मजदूरी करने वाला परिवार को कितना लाभ मिला?। इसकी सूची सरकार को जारी करना चाहिए, तभी सामाजिक न्याय की बात हो सकती है।